अति भौतिकता के प्रभाव से 1985 के बाद काशी में माँ गंगा एक विराट संख्या के लोगों के लिये काशी में विशेषकर दशाश्वमेध घाट क्षेत्र में मात्र नदी बन गयी थी। माँ गंगा स्वरूप अर्थात अध्यात्मिकता एवं पवित्रता कहीं खण्डित हो रही थी सामान्यजनों के इस उदासनीनता और हृदयहीनता से स्थानीय लोग व्यथित थे। उन्ही व्यथितजनों में से कुछ सक्रिय लोग माँ गंगा के प्रति आस्था के पुनः निरूपण हेतु स्मृतिशेष पं० सत्येन्द्र मिश्र के नेतृत्व में माँ गंगा की दैनिक प्रभाती एवं सांध्य आरती का संकल्प लिया था उसी संकल्प का परिणाम गंगा सेवा निधि है।
गंगा सेवा निधि एक पंजीकृत स्वयंसेवी संस्था के रूप में अपने उद्देश्यों को समागम वृद्विकर दैनिक आरती के साथ-साथ माँ गंगा में प्रवाहित होने वाले प्रदूषणों को रोकने का भी कार्य प्रारम्भ किया घाटों पर प्रवाहित नालों को, गंगा में प्रवाहित होने वाले फूल-माला व अन्य कूड़ों को प्रवाहित करने से रोकने का प्रयास प्रारम्भ किया बरसात के उपरान्त बाढ़ से पीछे छोड़े गये मिट्टियों को साफ करने का कार्य प्रारम्भ किया प्रारम्भ के दिनों में यह मात्र दशाश्वमेध घाट तक ही सीमित रहा परन्तु अग्रेतर वर्षों में कार्य क्षेत्र में लगातार वृद्धि होती गयी और वर्तमान में सम्पूर्ण वाराणसी के तटीय क्षेत्र में गंगा सेवा निधि अपनी सक्रियता से एक प्रतिष्ठित नाम है। जो अन्य संस्थाओं के लिये एक प्रेरणादायी यथार्थ है।
कारगील युद्ध के दौरान देश के लिये शहीद हुये अमर सैनिकों को विशेषमान देने के उद्देश्य से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित देव-दीपावली महापर्व पर होने वाली महाआरती को सैनिकों के सम्मान में निवेदित किया गया। जिसमें प्रतिवर्ष इण्डिया गेट की अनुकृति निर्माण कर अमर जवान ज्योति प्रज्वलित कर हम गत अट्ठारह वर्षों से माँ गंगा के महाआरती को राष्ट्र भक्ति से जोड़ने हेतु प्रयत्नशील है। हमारे इस प्रयास को भारतीय सेना ने भी सहर्ष स्वीकारा तथा सेना के तीनों अंगों के प्रमुखजन न केवल इनमें सहभागी होते रहे बल्कि वायुसेना के सौजन्य से विशेष हेलिकॉप्टर द्वारा इंडिया गेट की अनुकृति पर पुष्प वर्षा के कार्यक्रम भी होते रहें।
गंगा सेवा निधि अपने अविरल कार्यक्रमों के माध्यम से वाराणसी में एक आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पुर्नजागरण है। जिसका राष्ट्रीय एवं वैश्विक विकृति सर्वजन विदित है। उसी प्रतिष्ठा का परिणाम है कि भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी ने जापान के माननीय प्रधानमंत्री श्री शिंजोअबे जी को हमारे सभास्थल में आरती अवलोकनार्थ ले आये थे। वर्तमान में संस्था के युवा अध्यक्ष श्री सुशान्त मिश्रा के नेतृत्व में अपने सहयोगी श्री श्यामलाल सिंह, श्री त्रिपुरारी शंकर, श्रीमती मिनाक्षी मिश्रा, श्री इन्दुशेखर शर्मा, श्री आशीष तिवारी, श्री हनुमान यादव एवं श्री सुरजीत कुमार सिंह अधिकतर कार्यक्षेत्र विस्तारीकरण हेतु प्रयत्नशील हैं। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने भी पर्यटन हेतु अति महत्वपूर्ण यथार्थमान कर हमारे महाआरती के चिन्ह को ‘अतुल्य भारत’ के पोस्टरों में सम्पूर्ण विश्व में प्रसारित किया है। जिसमें विश्व पर्यटकों को काशी में एक नवीन आकर्षण स्थल दिया है एवं पर्यटन उद्योग को इससे भारी वृद्धि प्राप्ति हुयी है।